तस्वीरें


वो भी क्या दिन थे, 

जब तस्वीरें हमें चंद दिनों बाद मिला करती थी,

उन दिनों वे एक अंधेरे कमरे से होकर गुजरा करतीं थीं। 

रहता था इंतजार उस एक एल्बम का हमें, 

जिससे हमारी हँसी और खुशी, तस्वीरों में बयां हुआ करतीं थीं। 

कैद कर लेते थे उन सभी लम्हों को एक कैमरे में हम,

जो लम्हें और पल हमारे दिल को छु लिया करते थे, 

चलो आज खोल के बैठते हैं उन यादों के पिटारे को,

जिन यादों से हमारी ज़िंदगी खुशनुमा हुआ करती थी।

चलो आज थोड़ा हंस लें और मुस्कुरा लें, 

अपने बीते हुए कल में झांक कर, 

इस दिल को भी तसल्ली मिल जाएगी, 

अपनी पुरानी बातें जानकर। 

चलो जी लेते हैं उन खुशी भरे पलों को,

एक बार फिर हम,

आखिर तस्वीरों के ज़रिए बिखरी हुई यादें, 

ऐसे ही तो संवरा करतीं हैं। ।


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